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मेरी ज़िंदगी बदल देगा, तेरा इक़रार भी इंकार भी

दौड़ती भागती दुनिया का यही तोहफा है,

खूब लुटाते रहे अपनापन फिर भी लोग खफ़ा हैं।

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मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है,

बोला साहब लहू का दौर है शराब कौन पीता है।

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डरता हूँ कहने से मैं, कि मोहब्बत है तुमसे,

मेरी ज़िंदगी बदल देगा, तेरा इक़रार भी इंकार भी।

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आसान नही है हमसे यूँ शायरिओं में जीत पाना,

हम हर एक शब्द मोहब्बत में हार कर लिखते है।

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न मेरा नाम था न दाम था

बाजारे मोहब्बत में,

तुमने भाव पूछकर अनमोल कर दिया।

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तुम अपने ज़ुल्म की इन्तेहा कर दो,

न जाने...

फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले।

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यकीन नहीं होता फिर भी कर ही लेता हूँ,

जहाँ इतने हुए एक और फरेब हो जाने दो।

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ज़िन्दगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है

ना तो किसी को गम चाहिए...

ना ही किसी को कम चाहिए।

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कभी हो मुखातिब तो कहूँ क्या मर्ज़ है मेरा,

अब तुम दूर से पूछोगे तो ख़ैरियत ही कहेंगे..

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बच के रहना ऐसे लोगों से मेरे दोस्तों,

जिनके दिल में भी एक दिमाग रहता है।

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तेरी यादें हर रोज़ आ जाती है मेरे पास,

लगता है तुमने बेवफ़ाई नही सिखाई इनको।

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शिकायत करूँ तो किससे करूँ, ये तो क़िस्मत की बात है,

तेरी सोच में भी मैं नहीं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद है।

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हमारे पास तो बस कुछ यादें है तुम्हारी...

जिन्दगी उन्हें मुबारक जिनके पास तुम हो।

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हवाएँ हड़ताल पर हैं शायद,

आज तुम्हारी खुशबू नहीं आई।

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हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में,

मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये।

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परवाने को शमा पर जल कर कुछ तो मिलता होगा,

सिर्फ मरने की खातिर तो कोई प्यार नहीं करता।

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सीख कर गया है वो मोहब्बत मुझसे,

जिस से भी करेगा बेमिसाल करेगा।

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प्यास इतनी है मेरी रूह की गहराई में,

अश्क गिरता है तो दामन को जला देता है।

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