मेरी हर सांसों पर तोहमत है
जो मैंने तेरे बग़ैर ली हो....
जो मैंने तेरे बग़ैर ली हो....
मुझे परखने में तूने पूरीे जिंदगी लगा दी...
काश! कुछ वक्त समझने में लगाया होता...!!
काश! कुछ वक्त समझने में लगाया होता...!!
बैचैन तो होते हैं मगर....
तुझे याद किये बग़ैर चैन भी तो नहीं..!!
सुनो...
सोचो मत बस इतना समझ लो
मुझपे हक सिर्फ तुमहारा है....
सोचो मत बस इतना समझ लो
मुझपे हक सिर्फ तुमहारा है....
मेरी श्यामा...✍
वक्त से पूछकर बताना ज़रा, जख्म क्या वाकई भर जाते हैं?
कोई तरसता हैं
किसी की यादों में
और उस शख्स को ख़बर भी नहीं होती....
किसी की यादों में
और उस शख्स को ख़बर भी नहीं होती....
अब कहाँ ऐसी तबीअत वाले ,
चोट खाकर जो दुआ करते थे ,
तुम ज़िसे मेरी बेरुखी समझते हो ना....
हम उसे एहतियात कहते है...!!
हम उसे एहतियात कहते है...!!
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