*.........इक गुनाह और कर दें
...ऐ दिल ! इन सांसों को थाम लें जरा......
मेरा दिल मासूम सा बच्चा,,
सोचता है तुम्हें शरारत की तरह...!!
अगर तुम्हें पा लेते तो किस्सा इसी जन्म में खत्म हो जाता..
ज़नाज़े पे तकलीफ बयाँ कर गए जनाब....
जो कहते तक नही थे की तुम्हारी जुस्तुजू हैं....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें