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तुमको चाहा तो मोहब्बत की समझ आई...
वरना हमने तो बस इश्क के अफसाने सुने थे...!!! 2....
ना कर खुद पर इतना गुमां-ए-चाँद,
मेरे शहर की छत पर आज चाँद हजारो हैं !!
3...
छोटा बनकर रहोगे तो मिलेगी हर रहमत....
बड़ा होने पर तो माँ भी गौद से उतार देती है ।
सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा गालिब, नोंच नोंच कर खा गई तेरी याद मुझे। -------------------------------------- इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब, कि लगाए न लगे और बुझाए न बने। -------------------------------------- बोसा देते नहीं और दिल पे ...
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